मुझे फिर से वह दिन जीना है।

न जाने क्यों मैं रुक सा गया हूं? क्या मुझे किसी चीज की इंतजार है? या कोई बात मुझे परेशान कर रही है? पता नहीं क्यों? आज वक्त कुछ रुका-रुका सा लग रहा है। जैसे मेरे पास समय ही समय हो. बहुत अकेला महसूस कर रहा हूं मैं। पता नहीं क्या ? जैसे लगते हैं सारे ख्वाब किसी ने समेटकर उड़ा ले गया हो। इर्ष्या न करने वाला और सरल व्यक्ति सौ वर्ष तक जीता है।

मुझे फिर से वह दिन जीना है। 


इच्छा इंसान को जिंदा रखती है पर मेरी इच्छा क्या है? भूल सा गया हूं, मैं पता नहीं क्यों अकेला सा हो गया हूं। आज का समय भी कैसा समय है हर तरफ झूठ और मक्कारी भरी हुई है। कोई भी व्यक्ति अपना काम निकलवाने के लिए झूठ बोलने से पीछे नहीं हटता। दिन प्रतिदिन इंसान समझदार तो होता जा रहा है। लेकिन झूठा धोखेबाज भी बनता जा रहा है।

उसके पीछे का कारण क्या है इसके पीछे का कारण यही हो सकता है कि जो हमारे पूर्वज हमें सिखाएंगे उसी को हम आगे तक ले जाएंगे और यह बात जानकर हैरानी नहीं होगी की वंशज हमेशा अपने पूर्वज से हर काम में ज्यादा ही कार्यरत रहते हैं। तो क्या संसार ऐसे ही चलेगा।

दुनिया इन लोगो के दम पर चलती है.

नहीं ऐसा नहीं है, आज के समय में भी कई ऐसे इंसान है जो रुतबा, पैसों और धन के लालच से परे है। उनको इन चीजों का कोई भी लालच नहीं। वह बस अपनी जीविका चलाने मात्र के लिए धन का उपयोग करते हैं तथा अपने कार्य में कर्मनिष्ठ रहते हैं। शायद ऐसे ही लोगों की वजह से यह दुनिया चल रही है। नहीं तो कब की है दुनिया तबाह हो जाती। आप दूसरों से कमज़ोर नही हैं (सफलता का सूत्र)

मैं यह बातें क्यों लिख रहा हूं। मुझे नहीं पता बस आज मुझे यह लिखने का मन कर रहा है। शायद कोई बात आज मुझे लग गई है। पता नहीं क्यों? मैं बहुत जल्दी इमोशन में बह जाता हु? सब कुछ जानते हुए भी किसी पर  भरोसा क्यों कर लेता हूं,  यह जानते हुए भी कि वो धोखा देगा।

मुझे बदलना होगा।

शायद मैं अकेला हार जाऊंगा। लेकिन मुझे लड़ना होगा इस संसार की तमाम बुराइयों से मुझे लड़ना होगा और इन बुराइयों से लड़ने से पहले मुझे अपने अंदर की बुराइयों को बाहर निकालना होगा। क्योंकि आध्यात्मिक सुख का अनुभव में बहुत पहले कर चुका हूं और वह सुख इस दुनिया में सभी सुखों से सबसे सर्वर पर है। जीवन से जुड़े कुछ सत्य वचन (True Facts About Life in Hindi)

क्यों कि आध्यात्मिक जीवन सात्विक, शुद्ध और सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण है। ऐसी जिंदगी को कौन नहीं जीना चाहेगा फिर से। लेकिन उसके लिए मुझे पहले अपने पैरों पर खड़ा होना होगा। मुझे कुछ करके दिखाना होगा। शायद यही सही वक्त है। मैं कैसे भूल गया जबकि मैंने खुद ही कहा था कोई समय उचित नहीं होता है। और कोई समय बुरा नहीं होता। जब आंख खुले तभी सवेरा। समय की कदर मुझे करनी होगी वरना समय मुझे अपना महत्व दिखाकर मुझे बहुत पीछे छोड़ देगा। जहां सिर्फ निराशा के अलावा मुझे कुछ नहीं मिलेगा।

जीवन के मायने मुझे फिर से याद करने होंगे। सब कुछ फिर से सही होगा और वह फिर से लिखा जाएगा।

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